शिमला: स्कूल फीस मामले पर हल्ला बोल.
School Fee issue in Himachal: निजी स्कूल अभी भी एनुअल चार्जेज़ की वसूली करके एडमिशन फीस को पिछले दरवाजे से वसूल रहे हैं व हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के वर्ष 2016 के निर्णय की अवहेलना कर रहे हैं जिसमें उच्च न्यायालय ने सभी तरह के चार्जेज़ की वसूली पर रोक लगाई थी.
दो दिन का आश्वासन दिया
प्रदर्शन के बाद मंच का प्रतिनिधिमंडल अतिरिक्त निदेशक उच्चतर शिक्षा से मिला और उन्हें मांग पत्र सौंपा. अतिरिक्त निदेशक ने आश्वासन दिया कि 2 दिन के भीतर प्राइवेट स्कूलों द्वारा की गयी फीस बढ़ोतरी पर रोक लगाने के आदेश जारी कर दिए जाएंगे. मंच के राज्य संयोजक विजेंद्र मेहरा ने कहा है कि प्रदेश सरकार की नाकामी और निजी स्कूलों से मिलीभगत के कारण निजी स्कूल एक बार फिर से मनमानी पर उतर आए हैं और सीधी लूट पर आमादा हैं उन्होंने कहा कि निजी स्कूलों ने इस वर्ष टयूशन फीस में अभिभावकों के साथ बिना किसी बैठक के टयूशन फीस में पन्द्रह से पैंसठ प्रतिशत तक की वृद्धि कर दी है.
मनमानी कर रहे स्कूलनिजी स्कूलों ने कम्प्यूटर फीस में सौ प्रतिशत तक की वृद्धि करके उसे दोगुना कर दिया है. इस तरह ये स्कूल कोरोना काल में भी पूरी तरह मनमानी कर रहे हैं. जो अभिभावक निजी स्कूलों की लूट का विरोध कर रहे हैं,उन्हें व उनके बच्चों को मानसिक तौर पर प्रताड़ित किया जा रहा है. आईवी स्कूल में पांचवीं कक्षा की छात्रा इसका ताजा उदाहरण है. साथ ही कहा कि निजी स्कूल अध्यापकों व कर्मचारियों के कोरोना काल के वेतन का भुगतान भी नहीं कर रहे हैं.
बोर्ड को लगानी चाहिए रोक
विजेंद्र मेहरा ने कहा है कि निजी स्कूल सीबीएसई और हि.प्र.स्कूल शिक्षा बोर्ड के दिशानिर्देशनुसार एनसीईआरटी व एससीईआरटी की सस्ती और गुणवत्तापूर्वक किताबों को लगाने के बजाए प्राइवेट पब्लिशर्ज़ की 4 गुणा महंगी किताबों को बेचकर मुनाफाखोरी कर रहे हैं.इस पर तुरन्त रोक लगनी चाहिए. उन्होंने कहा कि वर्ष 2014 के मानव संसाधन विकास मंत्रालय के निजी स्कूलों की फीस के संचालन के संदर्भ में दिए गए दिशानिर्देशों व मार्च 2020 के शिक्षा विभाग के दिशानिर्देशों का निजी स्कूल खुला उल्लंघन कर रहे हैं. फीस को तय करने में अभिभावकों की आम सभा की भूमिका को दरकिनार किया जा रहा है. निजी स्कूल अभी भी एनुअल चार्जेज़ की वसूली करके एडमिशन फीस को पिछले दरवाजे से वसूल रहे हैं व हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के वर्ष 2016 के निर्णय की अवहेलना कर रहे हैं जिसमें उच्च न्यायालय ने सभी तरह के चार्जेज़ की वसूली पर रोक लगाई थी. उन्होंने प्रदेश सरकार से एक बार फिर मांग की है कि निजी स्कूलों में फीस,पाठयक्रम व प्रवेश प्रक्रिया को संचालित करने के लिए तुरन्त कानून बनाया जाए और रेगुलेटरी कमीशन का गठन किया जाए.