गांधी शांति पुरस्कार से संबंधित जूरी की अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने की और भारत के प्रधान न्यायाधीश एवं लोकसभा में सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता इसके दो पदेन सदस्य होते हैं. (तस्वीर: ANI)
Gandhi Peace Prize 2020: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 26 और 27 मार्च को बांग्लादेश के दौरे पर रहेंगे.
गांधी शांति पुरस्कार से संबंधित जूरी की अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने की और भारत के प्रधान न्यायाधीश एवं लोकसभा में सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता इसके दो पदेन सदस्य होते हैं. दो अन्य प्रतिष्ठित सदस्य- लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला एवं सुलभ इंटरनेशनल सोशल सर्विस ऑर्गनाइजेशन के संस्थापक बिंदेश्वर पाठक – भी इस जूरी का हिस्सा हैं. आधिकारिक बयान के अनुसार इस जूरी की 19 मार्च, 2021 को हुई एक बैठक में उपयुक्त विचार-विमर्श के बाद सर्वसम्मति से इस पुरस्कार के लिए बांग्लादेश के राष्ट्रपिता शेख मुजीबुर रहमान और ओमान के लंबे समय तक शासक रहे सुल्तान काबूस को चुने जाने का निर्णय लिया गया.
मोदी ने कहा कि बंगबंधु मानवाधिकारों और स्वतंत्रता के हिमायती थे, और वह भारतीयों के लिए एक नायक भी थे. उन्होंने यह भी कहा कि बंगबंधु की प्रेरणा ने दोनों देशों की विरासत को अधिक व्यापक और गहन बनाया है, और बंगबंधु द्वारा दिखाए गए मार्ग ने पिछले एक दशक में दोनों देशों की साझेदारी, प्रगति और समृद्धि की मजबूत नींव रखी है. मंत्रालय ने कहा कि गांधी शांति पुरस्कार भारत और ओमान के बीच पारस्परिक संबंधों को मजबूत करने और खाड़ी क्षेत्र में शांति एवं अहिंसा के प्रयासों को बढ़ावा देने में दिवंगत सुल्तान काबूस बिन सैद के अद्वितीय दृष्टिकोण एवं नेतृत्व क्षमता को रेखांकित करता है.
बयान के अनुसार प्रधानमंत्री मोदी ने सुल्तान काबूस के निधन पर भारत-ओमान संबंधों में उनके योगदान को याद करते हुए कहा था कि वे ‘‘भारत के सच्चे दोस्त थे और उन्होंने भारत एवं ओमान के बीच एक रणनीतिक साझेदारी विकसित करने के लिए एक मजबूत नेतृत्व प्रदान किया था.’’ प्रधानमंत्री ने उन्हें ‘‘दूरदर्शी नेता और राजनेता’’ और ‘‘हमारे क्षेत्र और विश्व के लिए शांति के प्रतीक’’ के रूप में भी याद किया था. इस पुरस्कार के तहत एक करोड़ रूपये, एक प्रशस्ति-पत्र, एक पट्टिका और हस्तशिल्प/ हथकरघा से निर्मित एक अति सुंदर पारंपरिक सामग्री दी जाती है.
गांधी शांति पुरस्कार से हाल में सम्मानित किये जाने वालों में विवेकानंद केंद्र, भारत (2015); अक्षय पात्र फाउंडेशन, भारत एवं सुलभ इंटरनेशनल (संयुक्त रूप से, 2016 के लिए); एकल अभियान ट्रस्ट, भारत (2017) और योही ससाकावा, जापान (2018) शामिल हैं.