चिनाब ब्रिज के पूरी तरह बन जाने से सामरिक दृष्टि से भी सेना को बेहद मदद मिलेगी.
Chenab Bridge : उधमपुर-श्रीनगर-बनिहाल रेल लाइन (Udhampur-Srinagar-Banihal Rail Line) के तहत बन इस इस नायाब ब्रिज के बन जाने से कश्मीर घाटी पूरी तरह से देश के रेल नेटवर्क से जुड़ जाएगी. इससे न केवल आम आदमी देश के किसी भी हिस्से से श्रीनगर तक आसानी से पहुंच पाएंगे, बल्कि व्यापारिक दृष्टि से भी इससे बेहद फायदा होगा. यही नहीं, इस ब्रिज के बन जाने से सामरिक दृष्टि से भी सेना को बेहद मदद मिलेगी.
उधमपुर-श्रीनगर-बनिहाल रेल लाइन (Udhampur-Srinagar-Banihal Rail Line) के तहत बन इस इस नायाब ब्रिज के बन जाने से कश्मीर घाटी पूरी तरह से देश के रेल नेटवर्क से जुड़ जाएगी. इससे न केवल आम आदमी देश के किसी भी हिस्से से श्रीनगर तक आसानी से पहुंच पाएंगे, बल्कि व्यापारिक दृष्टि से भी इससे बेहद फायदा होगा. यही नहीं, इस ब्रिज के बन जाने से सामरिक दृष्टि से भी सेना को बेहद मदद मिलेगी.
सोमवार को उत्तर रेलवे, कोंकण रेलवे (Konkan Railway) एवं भारतीय रेलवे (Indian Railways) के वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी में इस ब्रिज के आर्क में आखिरी सेगमेंट जोड़ा गया. इस मौके पर रेल मंत्री पीयूष गोयल एवं रेलवे बोर्ड के चेयरमैन एवं सीईओ सुनीत कुमार भी वर्चुअली इस कार्यक्रम में शामिल रहे.
इस आर्क के निर्माण के काम में जुटी कोंकण रेलवे कॉर्पोरेशन लिमिटेड (KRCL) के सीएमडी संजय गुप्ता ने कहा कि इस ब्रिज का सबसे अहम हिस्सा इसका आर्क ही है. उन्होंने कहा कि आर्क एक सेल्फ सपोर्टिंग डिजाइन है, जिसे 2000 साल पहले रोमन भी बनाते थे. पहले इसमें लगाए गए केबल आर्च का पूरा वजन संभाल रहे थे, लेकिन फाइनल सेगमेंट रखे जाने के बाद आर्च ने अपना 10,619 टन का वजन संभाल लिया है.

उन्होंने बताया कि जिस जगह इसका निर्माा हो रहा है, यही एक जगह थी, जहां इस आर्क को बनाया जा सकता था और चिनाब से रेलवे लाइन गुजर सकती थी. यह आर्क भारतीय और दुनियाभर के इंजीनियरों के सहयोग से यह बना है. यह आर्क जर्मनी में डिजाइन हुआ और यूके में प्रूफ डिजाइन हुआ.
वहीं, उत्तर रेलवे के महाप्रबंधक आशुतोष गंगल ने कहा हिक रेल यात्रियों को दीर्घकालीन सुविधाएं देने में यह कदम अहम होगा. जम्मू एवं कश्मीर भारत के सभी भागों से जुड़ जाएगा और तीव्र गति से रेल सेवाएं लोगों को मिल सकेंगी. इससे युवाओं को रोजगार और व्यापारिक गतिविधियों में भी तेजी आएगी. इस आर्क की नींव तैयार करने से लेकर इसे मजबूती देने के लिए दुनियाभर के विशेषज्ञों ने अपनी सलाह दी. इसे निर्माण कार्य में 3200 लोग जुटे रहे. साथ ही उन्होंने कहा कि कोविड महामारी के दौरान रेलवे ने चिनाब ब्रिज के आर्क को पूरा करने का लक्ष्य हासिल कर लिया. इस इलाके के अंतरराष्ट्रीय सीमा के नजदीक होने एवं यहां रेल लाइन के बनने से यह देश की आर्म्ड फोर्सिस के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण साबित होगी.
दरअसल, तकनीक के नजरिये से यह ब्रिज अपने आप में इतना नायाब है कि यह भारत के सबसे अधिक तीव्रता वाले जोन 5 के भूकंप के झटकों को भी झेल सकता है और किसी भी तरह के बॉम्ब ब्लास्ट या हमलों का भी इस पर कोई असर नहीं होगा. इसके लिए डीआरडीओ का परामर्श लिया गया.