विवेक तन्खा ने दिया बयान.
रविवार को सोनिया गांधी (Sonia gandhi) को कांग्रेस नेताओं की ओर से लिखा गया पत्र सामने आया था. इसमें बड़े नेताओं ने अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से कांग्रेस में बड़े बदलाव करने की मांग की थी.
- News18Hindi
- Last Updated:
August 25, 2020, 11:06 AM IST
राज्यसभा सदस्य विवेक तन्खा ने मंगलवार को ट्वीट कर कहा, ‘दोस्तों हम विरोधी नहीं हैं, बल्कि बदलाव के वाहक हैं. यह पत्र पार्टी नेतृत्व को चुनौती देने के मकसद से नहीं था. बल्कि ये पार्टी को मजबूत करने के लिए एक बानगी है. सार्वभौमिक सत्य सर्वश्रेष्ठ बचाव है फिर चाहे वो कोर्ट हो या सार्वजनिक मामले. इतिहास बहादुर को स्वीकार करता है, कायरों को नहीं.’
बता दें कि रविवार को सोनिया गांधी को कांग्रेस नेताओं की ओर से लिखा गया पत्र सामने आया था. कांग्रेस के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि जब पार्टी के बड़े नेताओं ने अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखकर कांग्रेस में बड़े बदलाव करने की मांग की थी. यह मांग कांग्रेस के 23 बड़े नेताओं ने की थी. इनमें विवेक तन्खा के साथ ही 5 पूर्व मुख्यमंत्री, शशि थरूर जैसे सांसद, कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्य और तमाम पूर्व केंद्रीय मंत्री शामिल थे. इनका कहना है कि पार्टी में बड़े बदलाव करके कांग्रेस को हो रहे नुकसान से बचाया जाए.
यह पत्र करीब दो हफ्ते पहले भेजा गया था. पत्र के जरिये बड़े नेताओं ने एक ‘पूर्णकालिक और प्रभावी नेतृत्व’ लाने की मांग की है, जो कि धरातल पर दिखे भी और सक्रिय भी रहे. साथ ही पार्टी के पुनरुद्धार के लिए सामूहिक रूप से संस्थागत नेतृत्व तंत्र की तत्काल स्थापना के लिए भी कहा गया है.कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) में सोनिया गांधी को संगठन स्तर पर सुधार करने के लिए लिखी गई चिट्ठी पर हुई बहस के बाद पत्र लिखने वाले कपिल सिब्बल, शशि थरूर सहित कुछ वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं ने सोमवार शाम को गुलाम नबी आजादी के आवास पर बैठक भी की. सूत्रों ने बताया कि राष्ट्रीय राजधानी में हुई इस बैठक में मुकुल वासनिक और मनीष तिवारी के साथ-साथ पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले कुछ अन्य नेता भी शामिल हुए.
सूत्रों ने बताया कि कोई भी नेता अपने विचार को लेकर टिप्पणी करने पर सहमत नहीं हुआ. यह बैठक सीडल्ब्यूसी की बैठक खत्म होने के कुछ देर बाद हुई. पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले 23 नेताओं में कुछ ही सीडब्ल्यूसी के सदस्य हैं. बता दें कि सात घंटे तक चली पार्टी की निर्णय लेने वाली शीर्ष संस्था सीडब्ल्यूसी की बैठक में सोनिया गांधी और राहुल गांधी का हाथ हरसंभव तरीके से मजबूत करने के लिए प्रस्ताव पारित किया गया. साथ ही यह स्पष्ट किया गया कि किसी को भी पार्टी नेतृत्व को कमजोर करने या कमतर करने की अनुमति नहीं दी जाएगी.