अब चीन से आने वाले कुछ खास लोगों पर भारत विशेष निगाह रखेगा. (फाइल फोटो)
सरकार की तरफ से ये कदम सुरक्षा एजेंसियों (Security Agencies) द्वारा चिंता जताए (Concern) जाने के बाद लिया गया है. एजेंसियों ने सरकार से चिंता जताई है कि देश के उच्च शिक्षण संस्थानों (Higher Education Institutes) में चीन का प्रभाव बढ़ रहा है.
- News18Hindi
- Last Updated:
August 21, 2020, 10:11 PM IST
सुरक्षा एजेंसियों ने जताई चिंता
दरअसल सरकार की तरफ से ये कदम सुरक्षा एजेंसियों द्वारा चिंता जताए जाने के बाद लिया गया है. एजेंसियों ने सरकार से चिंता जताई है कि देश के उच्च शिक्षण संस्थानों में चीन का प्रभाव बढ़ रहा है. ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक निकट भविष्य में भारतीय विश्वविद्यालयों का चीनी संस्थानों के साथ टाई-अप कमजोर पड़ सकता है. सरकार दोनों देशों के शिक्षण संस्थानों के बीच 54 समझौतों की समीक्षा भी कर रही है.
चाइनीज लैंगुएज ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट पर निगाहगौरतलब है कि भारत सरकार ने हाल ही में चीन के हानबान स्थित ऑफिशियल चाइनीज लैंगुएज ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट से जुड़े शिक्षण संस्थानों की समीक्षा की बात कही है. चीन का ये संस्थान कई देशों में कन्फ्यूसियश इंस्टिट्यूट के नाम से संस्थान चलाता है. रिपोर्ट के मुताबिक भारत में सात कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में इससे जुड़े शिक्षण संस्थान चल रहे हैं.
गलवान की घटना के बाद ज्यादा बढ़ा विवाद
भारत और चीन के बीच सीमा विवाद बीते 15 जून के बाद ज्यादा गर्मा गया है. गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प को भारत ने बेहद गंभीरता के साथ लिया है. इस झड़प में भारत के 20 सैनिकों की शहादत हुई थी. चीन ने अपने यहां के हताहतों की संख्या तक नहीं बताई थी. इसके बाद भारत ने अपनी संप्रभुता को लेकर चीन को स्पष्ट संदेश दिया है.
दोनों देशों के विशेष प्रतिनिधियों के बीच हुई बातचीत के बाद लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास से चीनी सेना पीछे तो हटी है लेकिन अभी अप्रैल से पहले वाली पोजीशन पर नहीं गई है. भारत के लिए चीनी सेनाओं को पहले वाली स्थिति पर भेजना अभी प्राथमिकता में है.