न्यूज डेस्क, अमर उजाला, जयपुुर
Updated Fri, 21 Aug 2020 03:37 PM IST
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत
– फोटो : फाइल
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राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार ने न्यायिक सेवा में आरक्षण को लेकर बड़ा फैसला लिया है। राज्य सरकार ने ईडब्ल्यूएस और एमबीसी वर्ग को न्यायिक सेवा में एक प्रतिशत की जगह पांच पांच प्रतिशत आरक्षण देने का निर्णय लिया है। कार्मिक विभाग ने इसे लेकर आधिकारिक अधिसूचना जारी कर दी है।
अब ईडब्ल्यूएस और एमबीसी वर्ग के अभ्यर्थियों को न्यायिक सेवा में नियुक्ति के ज्यादा अवसर मिलेंगे। मुख्यमंत्री गहलोत की घोषणा के बाद राज्य कैबिनेट ने न्यायिक सेवा नियम, 2010 में संशोधन को मंजूरी दी थी। संशोधन के तहत अभ्यर्थियों की साक्षात्कार परीक्षा के लिए समिति का प्रावधान भी नियमों में किया गया है।
समिति में उच्च न्यायालय के दो सेवारत न्यायाधीश शामिल होंगे। इसके अलावा इसमें एक विधि के प्रोफेसर भी होंगे। उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की तरफ से सभी का मनोनयन किया जाएगा। बता दें कि राज्य कैबिनेट ने प्रदेश में गुर्जरों सहित अति पिछड़ा वर्ग के अभ्यर्थियों को एक प्रतिशत के स्थान पर पांच प्रतिशत आरक्षण देने के लिए राजस्थान न्यायिक सेवा नियम, 2010 में संशोधन को मंजूरी दी थी।
यह भी पढ़ें- अब सचिन पायलट और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को साधने में जुटी कांग्रेस
इस संशोधन के जरिए अब अति पिछड़ा वर्ग के अभ्यर्थियों को राजस्थान न्यायिक सेवा में एक प्रतिशत की जगह पांच प्रतिशत आरक्षण मिलेगा। अति पिछड़ा वर्ग के अभ्यर्थी काफी लंबे समय से न्यायिक सेवा नियमों में संशोधन की मांग कर रहे थे। जिससे कि उन्हें भी राज्य न्यायिक सेवा में पांच प्रतिशत आरक्षण का लाभ मिल सके।
राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार ने न्यायिक सेवा में आरक्षण को लेकर बड़ा फैसला लिया है। राज्य सरकार ने ईडब्ल्यूएस और एमबीसी वर्ग को न्यायिक सेवा में एक प्रतिशत की जगह पांच पांच प्रतिशत आरक्षण देने का निर्णय लिया है। कार्मिक विभाग ने इसे लेकर आधिकारिक अधिसूचना जारी कर दी है।
अब ईडब्ल्यूएस और एमबीसी वर्ग के अभ्यर्थियों को न्यायिक सेवा में नियुक्ति के ज्यादा अवसर मिलेंगे। मुख्यमंत्री गहलोत की घोषणा के बाद राज्य कैबिनेट ने न्यायिक सेवा नियम, 2010 में संशोधन को मंजूरी दी थी। संशोधन के तहत अभ्यर्थियों की साक्षात्कार परीक्षा के लिए समिति का प्रावधान भी नियमों में किया गया है।
समिति में उच्च न्यायालय के दो सेवारत न्यायाधीश शामिल होंगे। इसके अलावा इसमें एक विधि के प्रोफेसर भी होंगे। उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की तरफ से सभी का मनोनयन किया जाएगा। बता दें कि राज्य कैबिनेट ने प्रदेश में गुर्जरों सहित अति पिछड़ा वर्ग के अभ्यर्थियों को एक प्रतिशत के स्थान पर पांच प्रतिशत आरक्षण देने के लिए राजस्थान न्यायिक सेवा नियम, 2010 में संशोधन को मंजूरी दी थी।
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इस संशोधन के जरिए अब अति पिछड़ा वर्ग के अभ्यर्थियों को राजस्थान न्यायिक सेवा में एक प्रतिशत की जगह पांच प्रतिशत आरक्षण मिलेगा। अति पिछड़ा वर्ग के अभ्यर्थी काफी लंबे समय से न्यायिक सेवा नियमों में संशोधन की मांग कर रहे थे। जिससे कि उन्हें भी राज्य न्यायिक सेवा में पांच प्रतिशत आरक्षण का लाभ मिल सके।
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