बीत दिनों 73 वर्ष की उम्र में चेतन चौहान का निधन हो गया (फाइल फोटो)
चेतन चौहान (Chetan Chauhan) टीम के साथ झेलम एक्सप्रेस में सफर कर रहे थे, तभी एक स्टेशन से करीब 50 लोगों की भीड़ ट्रेन में चढ़ गई.
- News18Hindi
- Last Updated:
August 19, 2020, 12:31 PM IST
चेतन चौहान अपने साथी खिलाड़ी नवजोत सिंह सिद्धू, राजिंदर घई को बचाने के लिए दंगाइयों के सामने चट्टान बनकर खड़े हो गए थे. बात 1984 की है, जब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या होने के बाद देश में सिख विरोधी दंगे भड़क गए थे. उसी दौरान झेलम एक्सप्रेस से खिलाड़ी सफर कर रहे थे. खिलाड़ी उत्तर क्षेत्र और पश्चिम क्षेत्र के बीच दिलीप ट्रॉफी का सेमीफाइनल मुकाबला खेलकर लौट रहे थे.
हरियाणा के पूर्व ऑफ स्पिनर सरकार तलवार ने टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत में बताया कि मुकाबला 30 अक्टूबर को खत्म हुआ था. अगली सुबह एयरपोर्ट जाने के लिए तैयार हो रहे थे, तभी खबर मिली कि प्रधानमंत्री की हत्या कर दी गई है. टीम मैनेजर प्रेम भाटिया ने फिर हमें झेलम एक्सप्रेस के फर्स्ट क्लास के टिकट लाकर दिए. दिल्ली पहुंचने में ही हमें चार दिन का समय लग गया था.किट बैग के पीछे छुपाया
तलवार ने बताया कि उस समय एक स्टेशन से करीब 40 50 लोग ट्रेन में चढ़ गए थे और वह सिख समुदाय के लोगों को खोज रहे थे. टीम में नवजोत सिंह सिद्धू, राजिंदर घई और योगराज सिंह थे. चेतन चौहान और यशपाल शर्मा ने भीड़ से काफी बहस की थी. जब उन्हें पता चला कि वे भारतीय क्रिकेटर हैं तो वे डिब्बे से उतर गए. तलवार ने बताया कि उस समय खिलाड़ी इतना अधिक डर गए थे कि सिद्धू और घई को लोअर बर्थ के नीचे किट बैग के पीछे छुपा दिया था. योगराज सिंह ने तो सिद्धू को अपने केश काटने तक के लिए कह दिया था.
उन्होंने कहा कि भीड़ ने चिल्लाते हुए चेतन चौहान से कहा था कि हम यहां पर सरदारों को मारने आए हैं, तुम्हें कुछ नहीं होगा. जिसके बाद चेतन चौहान ने कहा कि वे मेरे भाई हैं और तुम उन्हें छू भी नहीं सकते. चेतन ने जिस तरह से मामले को संभाला और काबिले तारीफ था.