लद्दाख की महिलाओं ने शुरू की काम.
लद्दाख (Ladakh) के चुशोल गांव की इन महिलाओं ने इस दौर में केटरिंग, बिस्किट बनाना और खेती का भी काम शुरू किया है.
इसके अलावा लद्दाख के चुशोत गांव की इन महिलाओं ने इस दौर में केटरिंग, बिस्किट बनाना और खेती का भी काम शुरू किया है. अपने उत्पाद और सर्विस को ये महिलाएं स्थानीय प्रशासन, लोकल सप्लाई चेन और निजी लोगों को मुहैया करवा रही हैं. जिसका नतीजा ये है कि औसत करीब 15 हजार रुपए तक की कमाई प्रति माह इन महिलाओं की हो जाती है.
दरअसल लद्दाख रीजन के शहर लेह में ये चुशोल गांव पड़ता है. ये लद्दाख के सबसे बड़े गांव में से एक है. यहां महिलाओं के 140 स्वयं सहायता समूह हैं जिनसे करीब 1500 महिलाएं जुड़ी हैं और अपनी जीविका चला रही हैं..हर समूह में 10-12 महिलाएं होती हैं जिनके जिसमें अलग अलग काम होता है. इसमें ट्रेनर, अकाउंट कीपर और कार्डिनेटर के काम शामिल हैं. प्रतिदिन हर समूह की बैठक होती है जिसमें उस दिन काम करने वाली महिलाओं के नाम, उत्पाद, सर्विस की सूची और पैसों के लेनदेन के ब्योरा की चर्चा होती है और रजिस्टर में उसे लिखा जाता है.
भारत सरकार के नेशनल रूरल लाइवलीहुड मिशन के जरिए शुरू किए गए इस कार्यक्रम को सरकारी मदद भी मिलती है. जिस भी महिला को काम शुरू करना है सबसे पहले उसे पंद्रह हजार रुपए मिलते हैं जिसके बाद काम चलने पर कम ब्याज पर एक लाख रुपए तक का लोन भी उन्हे मिल सकता है.
चीन की सीमा से सटे लद्दाख़ रीजन में इस तरीके से महिलाओं को अपना काम करने के लिए प्रोत्साहित करना उनकी जीविका का जरिया बनता है, पलायन रोकने में मदद करता है और सीमा पर भारतीय नारी की शक्ति का विश्व को एहसास भी कराता है.