कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा आपको राष्ट्रीय सुरक्षा के नजरिए से इस मुद्दे को देखना होगा.(फाइल फोटो)
सालों से चले आ रहे सतलुज-यमुना लिंक (Sutlej Yamuna Link) मामले पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के निर्देश पर पंजाब (Punjab) और हरियाणा (Haryana) के बीच हुई बातचीत में पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह (Punjab’s CM Captain Amarinder Singh) ने कहा ये एक भावनात्मक मुद्दा है.
ये बैठक सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के निर्देश पर हुई थी जिसमें पिछले महीने दो मुख्यमंत्रियों से सतलुज-यमुना लिंक नहर के पूरा होने पर चर्चा की गई थी, जो कई दशकों से पाइपलाइन में है. पंजाब का कहना है कि वह हरियाणा और राजस्थान के साथ पानी साझा करने के लिए अनिच्छुक है और उसके पास फालतू पानी नहीं है.
पंजाब सरकार के एक बयान के अनुसार, अमरिंदर सिंह ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए शेखावत से कहा, “आपको राष्ट्रीय सुरक्षा के नजरिए से इस मुद्दे को देखना होगा. “यदि आप सतलुज-यमुना लिंक के साथ आगे बढ़ने का फैसला करते हैं, तो पंजाब जल जाएगा और यह एक राष्ट्रीय समस्या बन जाएगी, जिसका हरियाणा और राजस्थान पर भी असर पड़ेगा.”
ये भी पढ़ें- मेनका ने कुत्ते पर गाड़ी चढ़ाने का वीडियो शेयर किया, आरोपी के खिलाफ केस दर्जखट्टर और शेखावत दिल्ली से बैठक में शामिल हुए. खट्टर ने बाद में कहा कि इस मुद्दे पर दोनों मुख्यमंत्री फिर से मिलेंगे. बता दें सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में हरियाणा और पंजाब के मुख्यमंत्रियों को साथ बैठकर हल निकालने के निर्देश दिए थे. अदालत ने दोनों पक्षों को इसके लिए तीन हफ्ते का समय दिया था.
क्या है विवाद
हरियाणा 1 नंवबर 1966 को पंजाब से अलग हुआ है. राज्यों के बंटवारे के समय पानी का बंटवारा नहीं हो सका था. इसके कुछ सालों के बाद केंद्र ने हरियाणा को 3.5 एमएएफ पानी आवंटित किया जिसे लाने के लिए 212 किमी लंबी सतलुज यमुना लिंक नहर बनाने का फैसला हुआ था. हरियाणा ने इसके लिए अपने हिस्से की 91 किमी नहर का निर्माण पूरा कर लिया है, लेकिन पंजाब इसके लिए विरोध जता रहा है.
पानी के बंटवारे को लेकर हरियाणा सरकार 2018 में सुप्रीम कोर्ट गई थी. जहां उसने इस मतभेद को सुलझाने के लिए जल्द सुनवाई की अपील की थी. अदालत ने 11 जुलाई 2018 को कहा था कि इस मुद्दे पर उसके फैसले का सम्मान करना और उसे लागू करना दोनों सरकारों के लिए अनिवार्य है.