कोर्ट ने पहला सवाल तय किया है कि अगर न्यायिक भ्रष्टाचार पर बयान सार्वजनिक किए जाते हैं, तो वे किन परिस्थितियों में किए जा सकते हैं? दूसरा वर्तमान और रिटायर्ड जजों पर सार्वजनिक रूप से भ्रष्टाचार के ऐसे बयान दिए जाने पर अपनाए जाने वाली प्रक्रिया क्या हो? इस मामले पर अब 24 अगस्त को बहस होनी है. वहीं, सुप्रीम कोर्ट को लेकर किए गए दो ट्वीट के मामले दोषी करार दिए जाने के बाद कोर्ट 20 अगस्त को भूषण की सजा की मियाद तय करेगी.
प्रशांत भूषण के वकील राजीव धवन ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि भूषण अवमानना का दोषी करार दिए गए फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर करेंगे. धवन ने कहा भूषण ने पूर्व CJI पर बयान दिया था, वो अवमानना कैसे हो गया? उन्होंने दलील दी कि स्वतंत्रता दिवस से एक दिन पहले प्रशांत भूषण को दोषी तय करने वाले अपने फैसले के एक हिस्से में तो कोर्ट ने विवादास्पद ट्वीट्स को अवमानना बताया है, लेकिन दूसरे हिस्से में उसे अवमानना नहीं माना है. ऐसे में भूषण कोर्ट के सामने पुनर्विचार याचिका दाखिल करेंगे, ताकि स्थिति साफ हो. ये मामला संविधान बेंच भेजा जाना चाहिए.
दरअसल, साल 2009 में प्रशांत भूषण ने तहलका मैगजीन को दिए गए एक इंटरव्यू में सुप्रीम कोर्ट के 16 पूर्व जजों में आधे जजों को भ्रष्ट बताया था. तहलका मैगजीन के मालिक तरुण तेजपाल की ओर से पेश कपिल सिब्बल ने कहा कि 11 साल पुराने इस मामले को बंद कर देना चाहिए. सिब्बल ने कहा कि प्रशांत भूषण ने सुझाव दिया कि अदालत जब शारीरिक रूप से सुनवाई शुरू करे, तभी मामले की सुनवाई की जानी चाहिए.
पिछली सुनवाई में भूषण ने 2009 में दिए अपने बयान पर खेद जताया था, लेकिन बिना शर्त माफ़ी नहीं मांगी थी. भूषण ने कहा कि तब मेरे कहने का तात्पर्य भ्रष्टाचार कहना नहीं था, बल्कि सही तरीक़े से कर्तव्य न निभाने की बात थी.
भूषण ने दी थीं ये दलील
भूषण ने 2009 अवमानना केस में सुप्रीम कोर्ट में लिखित जवाब दाखिल करते हुए कहा है कि जजों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाना अवमानना के समान नहीं है. इस कार्रवाई के लिए जजों पर लगाए गए आरोपों की जांच जरूरी है. प्रशांत भूषण ने दावा किया है कि जनहित में भ्रष्टाचार का आरोप लगाने की किसी भी क़वायद को संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (ए) के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के दायरे में रखा जाना चाहिए.
10 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण के स्पष्टीकरण को मंजूर करने से इनकार किया था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वो अवमानना मामले में आगे सुनवाई करेगा कि क्या ये बयान अवमानना हैं या नहीं.
अवमानना केस : प्रशांत भूषण इन दो ट्वीट्स को लेकर दोषी करार, 20 अगस्त को सजा पर बहस
क्या सजा हो सकती है?
अवमानना के इस मामले पर सुनवाई पूरी हो चुकी है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि प्रशांत भूषण ने आपराधिक अवमानना की है और वो दोषी हैं. कोर्ट अब 20 अगस्त को प्रशांत भूषण की दलीलें सुनकर सजा का ऐलान करेगा. अवमानना में सुप्रीम कोर्ट 6 महीने तक जेल की सजा सुना सकता है. सुप्रीम कोर्ट माफीनामा देने के लिए कह सकता है और कुछ आर्थिक दंड भी साथ में लगा सकता है.