भारतीय दूरसंचार निगम लिमिटेड (BSNL)
केंद्र सरकार ने नये गाइडलाइंस लागू होने के बाद Huawei और ZTE के BSNL 4G नेटवर्क के लिए ब्लॉक कर दिया है. सरकार अब एक मल्टी-वेंडर मॉडल पर का विकल्प तलाश रही है. इसके लिए एक कमिटी अपनी रिपोर्ट तैयार कर रही है.
- News18Hindi
- Last Updated:
August 16, 2020, 10:57 PM IST
इस नये मॉडल के तहत, 4G नेटवर्क को एक सिस्टम इंटीग्रेट के जरिए बनाया जाएग और इसे मैनेज किया जाएगा. मूल तौर पर यह इंटीग्रेटर नोकिया, एरिक्सन (Ericsson) या अन्य विदेशी कंपनियों से सॉफ्टवेयर व हार्डवेयर खरीदेगी. यह एक तरह का नया मॉडल है, जिसे वैश्विक स्तर पर अपनाया जा रहा है. चूंकि, बीएसएनएल के लिए यह सिस्टम इंटीग्रेटर एक भारतीय कंपनी होगी. ऐसे में एक घरेलू कंपनी को इस नेटवर्क को तैयार करने का मौका मिलेगा.
एनलिस्ट्स का मानना है कि बीएसएनएल की वित्तीय हालत खराब है. ऐसे में यह नया तरीका हानिकारक साबित हो सकता है. खासतौर पर एक ऐसे समय में जब यह कंपनी अपने 4जी बिजनेस को बहुत देर से शुरू कर रही है.
यह भी पढ़ें: केंद्रीय कर्मचारियों के लिए खबर, बदलने जा रहा रिटायरमेंट के बाद कॉन्ट्रैक्ट पर नियुक्ति का नियमअधिकतर प्राइवेट मोबाइल ऑपरेटर्स ने अपना नेटवर्क सिंगल वेंडर के जरिए कॉन्ट्रैक्ट के माध्यम से तैयार किया है. कमिशनिंग के बाद यह वेंडर्स ही सर्विस अग्रीमेंट के तहत इन्हें मैनेज करते हैं. इससे खर्च कम होता है और नेटवर्क की दक्षता बढ़ती है. जबकि, सिस्टम इंटीग्रेटर मॉडल में नेटवर्क में कई कंपनियों एक कंपोनेन्ट के तौर पर काम करेंगी. मूल रूप से ये कंपनियां एसेम्बलिंग के जरिए काम करेंगी और इससे खर्च बढ़ेगा. साथ ही इसी में क्वॉलिटी की भी समस्या होगी और तकनीकी खामियों की भी गुंजाईश होगी.
टेलिकॉम विभाग (Department of Telecommunications) की एक कमिटी इस मॉडल के लिए तकनीकी जानकारियां जुटा रही है ताकि बीएसएनएल के 4जी नेटर्वक को रोलआउट किया जा सके. उम्मीद की जा रही है कि यह कमिटी बहुत जल्द ही अपनी रिपोर्ट सौंप देगी.
यह भी पढ़ें: कहीं आपके आधार कार्ड का गलत इस्तेमाल न हो जाए, बचना है तो जान लें ये बातें
हाल ही में नीति आयोग ने सिफारिश की थी कि बीएसएनएल के 4जी नेटवर्क रोजआउट में केवल लोकल स्तर पर डिजाइजन किए गए और निर्मित किए गए उत्पादों का ही इस्तेमाल किया जाए. नीति आयोग की इस सिफारिश में यह भी कहा गया था कि उपकरणों के लिए लोकल मॉडल्स अपनाने के लिए सरकाी कंपनियों को ही इसका नया टेंडर ड्राफ्ट करना चाहिए.