ज़िंदगी में काग़ज़ी परीक्षाओं में निराशा हाथ लगने के बावजूद पुणे के प्रशांत उरणकर भावनात्मक और मानसिक रूप से बीमार लोगों की मदद करने और उन्हें निराशा से आशा की ओर ले जाने की कोशिश में जुटे हैं.
ज़िंदगी में काग़ज़ी परीक्षाओं में निराशा हाथ लगने के बावजूद पुणे के प्रशांत उरणकर भावनात्मक और मानसिक रूप से बीमार लोगों की मदद करने और उन्हें निराशा से आशा की ओर ले जाने की कोशिश में जुटे हैं.
दरअसल, कुछ लोग अपनी ज़िंदगी में छोटी से छोटी नाकामयाबी पर भी डिप्रेशन में चले जाते है या फिर उस मुश्किल वक्त से लड़ने की बजाय; ज़िंदगी से हार मानते हुए खुदख़ुशी कर लेते है. लेकिन, “Who Cares” पर उपलब्ध कंटेंट व प्रशांत का अनुभव और सकारात्मक सोच की मदद से लोगों में फिर से ज़िंदगी को एक नए व सकारात्मक तरीके से देखने की प्रेरणा मिलती है.
अपने शुरुआती दिनों में प्रशांत उरणकर अपनी कला के दम पर लोगों का मनोरंजन किया करते थे. उनके पास लोगों को हंसाने के लिए ऑनलाइन बेहद अच्छा कंटेंट होता था, जिसकी वजह से उन्हें बेशुमार लोगों का प्यार भी मिलता था. धीरे-धीर उन्होंने अपने भीतर छिपी प्रतिभा को निखारते हुए काफ़ी अच्छे विषयों पर कंटेंट और मीमज़ को ऑनलाइन पोस्ट करना शुरू कर दिया. जल्द ही उनका नाम उस सूची में आ गया, जो काफ़ी अच्छा और लोगों का मनोरंजन वाला कंटेंट उपलब्ध करवाते है. उसके बाद वह सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म “Who Cares” की विचारधारा के साथ लोगों के सामने आयें और यह एक ऐसा माध्यम है, जहाँ पर भावनात्मक और मानसिक तौर पर कमज़ोर लोगों की मदद की जाती है.
बेहतरीन और आकर्षक कंटेंट होने की वजह से सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म “Who Cares” ने बेहद कम समय में बहुत अधिक लोगों के बीच अपनी एक अलग पहचान बना ली. आज फेसबुक पर इसे 6.9 मिलियन लोग फॉलो करते हैं और इंस्टाग्राम पर इसके करीबन 195 हज़ार फॉलोअर्स हैं. “Who Cares” के माध्यम से वह आज भी लाखों-करोड़ों ऐसे लोगों की मदद कर रहें है; जो मानसिक तौर पर परेशान हैं और भावनात्मक रूप से बिलकुल टूट चुके है. हो ना हो पर प्रशांत उरणकर की सकारात्मक सोच ने उन्हें वेब पर काफ़ी कम समय में बेहद लोकप्रिय बना दिया है.