सिर्फ 3 महीने में मिला 700 फीसदी का मुनाफा- अंग्रेजी के बिजनेस अखबार इकोनॉमिक टाइम्स की खबर के मुताबिक, भारतीय शेयर बाजार में जहां रिलायंस इंडस्ट्रीज ने 23 मार्च के बाद 145 फीसदी का रिटर्न दिया है, वहीं, एलन मस्क की कंपनी टेस्ला के शेयर में इस दौरान 750 फीसदी की तेजी आई है. इस शेयर में आई तेजी ने निवेशकों को हैरान कर दिया है.
फेसबुक, अमेजन, नेटफ्लिक्स, माइक्रोसॉफ्ट, एपल और गूगल जैसी अमेरिकी कंपनियों ने मार्च के निचले स्तर से निवेशकों का पैसा दोगुना कर दिया है.
ये भी पढ़ें-बिल गेट्स ने बताया, कब बाजार में आ जाएगी वैक्सीन और कब पूरी तरह खत्म होगा कोरोना वायरसगूगल और एपल का रिटर्न क्रमश: 57 फीसदी और 63 फीसदी रहा है. इस साल के पहले सात महीनों में इन कंपनियों ने अभी तक 66.7 फीसदी तक छलांग लगाई है. टेस्ला ने अभी तक 232 फीसदी तक की तेजी दिखाई है.
क्या अमेरिकी शेयरों में पैसा लगना चाहिए-एसकोर्ट सिक्योरिटी के रिसर्च हेड आसिफ इकबाल ने न्यूज 18 हिंदी को बताया कि विदेश में निवेश भारतीयों के लिए नया विकल्प हैं. उन्होंने कहा, विदेशी बाजार में निवेश अमूमन अमीर वर्ग को आकर्षित करता है, मगर किसी भी निवेशक को अधूरी जानकारी के साथ अंतर्राष्ट्रीय बाजार में पैसा नहीं लगाना चाहिए.
अगर विदेशी बाजार में पैसा लगना हो तो क्या करना होगा? सबसे पहले केवाईसी कराना होगा
आसिफ इकबाल अमेरिकी बाजार में निवेश करने के लिए आपको सबसे पहले अमेरिकी नियामक सिक्युरिटी एक्सचेंज कमिशन (एसईसी) में रजिस्टर्ड किसी ब्रोकर के पास एक ट्रेडिंग अकाउंट खोलना होगा. जैसे भारत में डीमैट अकाउंट खोलना होता है, वैसे ही अमेरिका में ट्रेडिंग अकाउंट खोलना होता है. ट्रेडिंग अकाउंट खोलने से पहले निवेशक को केवाईसी कराना होता है.
अमेरिका में निवेश करने के लिए डॉलर की जरूरत होगी. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के लिबरलाइज्ड रेमीटेंस स्कीम के जरिये भारतीय निवेशक अमेरिका में 2.5 लाख रुपए तक का निवेश कर सकता है. अमेरिकी ट्रेडिंग अकाउंट में यह राशि जमा होने के बाद निवेशक अमेरिकी शेयर बाजार में निवेश कर सकता है. निवेशक यदि भारतीय बैंक अकाउंट में पैसे वापस लाना चाहे, तो यह काम एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के जरिये हो सकता है. हालांकि भारतीय बैंक अकाउंट में पैसे वापस लाते समय डॉलर और रुपए की विनिमय दर का असर इस राशि पर पड़ेगा.
इन बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी- जिस भी ब्रोकर के पास आपने ट्रेडिंग अकाउंट खोला है, वह अमेरिकी बाजार नियामक एसईसी से रजिस्टर्ड होना चाहिए. जैसे भारत में बाजार की नियामक सेबी है, वैसे ही अमेरिका में एसईसी है. अमेरिका में एक संस्था है सिक्युरिटीज इन्वेस्टर प्रोटेक्शन कॉरपोरेशन (एसआईबीसी). यह संस्था हर ट्रेडिंग अकाउंट को पांच लाख डॉलर तक इंश्योर करती है. निवेशक को यह चेक कर लेना चाहिए कि जिस ब्रोकर के पास उसने ट्रेडिंग खोला है, वह ब्रोकर एसआईबीसी का सदस्य है या नहीं. यह आप एसआईबीसी के वेबसाइट पर चेक कर सकते हैं.
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वेस्टेड का एसईसी से रजिस्टर्ड होने का दावा- वेस्टड एक सुरक्षित मोबाइल और वेब एप्लीकेशन के जरिये भारतीय निवेशकों को केवाईसी करने और पैसे जमा कर अमेरिकी शेयर बाजार में निवेश करने में मदद करती है. वेस्टेड के वेबसाइट के मुताबिक वह अमेरिकी बाजार नियामक सिक्युरिटी एंड एक्सचेंज कमिशन (एसईसी) में रजिस्टर्ड है.