यह योजना अब 250 करोड़ रुपये तक सालाना कारोबार वाली कंपनियों पर लागू होगा
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को जानकारी दी कि MSME क्रेडिट गारंटी योजना के दायरे को बढ़ाकर 50 करोड़ रुपये तक कर दिया गया है. ECLGS में बदलाव श्रमिक संगठनों की मांगों और जून में केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा मंजूर की गई MSME की नई परिभाषा के आधार पर किया गया है.
वित्त मंत्री ने दी जानकारी
आपातकालीन क्रेडिट गारंटी योजना में (ECLGS) में बदलाव श्रमिक संगठनों की मांगों और जून में केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा मंजूर की गई MSME की नई परिभाषा के आधार पर किया गया है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (FM Nirmala Sitharaman) ने इन बदलावों के बारे में मीडिया को बताया कि ECLGS योजना में अब व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए दिए गए व्यक्तिगत क्रेडिट भी शामिल होंगे, जो इस योजना की पात्रता मानदंड के अधीन हैं.
वित्तीय सेवा सचिव देवाशीष पांडा ने कहा, ‘‘हमने योजना के तहत व्यवसायिक उद्देश्यों के लिए चिकित्सकों, चार्टर्ड एकाउंटेंट आदि को दिए गए व्यक्तिगत क्रेडिट को भी कवर करने का फैसला किया है.’’ उन्होंने कहा कि कंपनियों के संबंध में भी इसी तरह की प्रक्रिया अपनाई जाएगी, ताकि व्यवसाय चलाने वाले इन पेशेवरों के क्रेडिट स्वीकृत किए जा सकें.यह भी पढ़ें: बड़ी खबर- TikTok के अमेरिकी कारोबार को खरीद सकती है माइक्रोसॉफ्ट
अधिक से अधिक कंपनियों को लाभ देने के लिए उठाया गया कदम
उन्होंने बताया कि योजना का लाभ अधिक से अधिक कंपनियां ले सकें, इसके लिए इस योजना के तहत पात्रता के लिए 29 फरवरी को बकाया क्रेडिट की ऊपरी सीमा को 25 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 50 करोड़ रुपये करने का फैसला किया गया है.
21 लाख करोड़ रुपये के पैकेज का हिस्सा
पांडा ने बताया कि इस योजना के तहत गारंटीकृत आपातकालीन क्रेडिट लाइन (GECL) की अधिकतम राशि भी मौजूदा पांच करोड़ रुपये से बढ़कर 10 करोड़ रुपये हो जाएगी. यह योजना सरकार द्वारा कोविड-19 के प्रकोप से निपटने के लिए घोषित 20.97 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज का एक हिस्सा है.
इन पर भी लागू होगी यह योजना
यह योजना अब 250 करोड़ रुपये तक सालाना कारोबार वाली कंपनियों पर लागू होगा, जबकि अभी तक यह आंकड़ा 100 करोड़ रुपये था. पांडा ने कहा कि इस योजना के तहत छोटी कंपनियों को पर्याप्त संख्या में शामिल किया जा चुका है, इसलिए अब बड़ी कंपनियों को भी शामिल करने की तैयारी है.
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उन्होंने कहा कि इस योजना की कुल सीमा तीन लाख करोड़ रुपये है और योजना की वैधता अक्टूबर 2020 तक है. उन्होंने बताया कि बैंकों ने किसानों को खरीफ बुवाई और संबंधित गतिविधियों में मदद के लिए लगभग 1.1 करोड़ किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) धारकों के लगभग 90,000 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं.