Rajasthan Governor Kalraj Mishra orders State Government to call for an Assembly Session. Not convening the Assembly was never the intention: Raj Bhawan, Rajasthan pic.twitter.com/mKt2qdmuSp
— ANI (@ANI) July 27, 2020
सूत्रों के अनुसार राज्यपाल ने इस बात से भी इनकार किया है कि वह जानबूझकर विधानसभा सत्र बुलाने में देरी कर रहे थे। बता दें कि कांग्रेस और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत राज्यपाल कलराज मिश्र पर आरोप लगाते आए हैं कि वह केंद्र सरकार के इशारे पर सदन का सत्र बुलाने और विश्वास मत में देरी कर रहे हैं। कांग्रेस ने कहा था कि राज्यपाल ने ऐसा करके लोकतंत्र को बाधित करने का सबसे खराब तरीका अपनाया है।
सत्र बुलाने का संशोधित प्रस्ताव भेजा था वापस
इससे पहले राज्यपाल मिश्र ने विधानसभा का सत्र बुलाने का राज्य मंत्रिमंडल के संशोधित प्रस्ताव को कुछ बिंदुओं के साथ गहलोत सरकार को वापस भेज दिया था। राज्यपाल ने कहा इसे लेकर कहा था कि विधानसभा सत्र संवैधानिक प्रावधानों के अनुकूल आहूत होना आवश्यक है। इसके साथ ही राजभवन की ओर से यह भी स्पष्ट किया गया था कि राजभवन की विधानसभा सत्र न बुलाने की कोई मंशा नहीं है।
सरकार से तीन पहलुओं पर विचार करने को कहा
राजभवन सूत्रों ने बताया कि राज्यपाल ने विधानसभा सत्र बुलाने की राज्य सरकार की संशोधित पत्रावली को तीन बिंदुओं पर कार्यवाही कर पुन: उन्हें भिजवाने के निर्देश के साथ संसदीय कार्य विभाग को भेजी है। राज्यपाल ने राज्य सरकार से तीन पहलुओं पर विचार-विमर्श करने के लिए कहा है। इसमें सत्र बुलाने से पहले 21 दिन की नोटिस अवधि, सोशल डिस्टेंसिंग के नियम और विश्वास मत स्थानांतरित होने की स्थिति में कुछ शर्तों का पालन करना शामिल है।
Rajasthan Governor asks State Government to deliberate on three aspects- 21-day notice period before convening session, maintaining social distancing norms and certain conditions to be followed, in case confidence motion is moved. pic.twitter.com/oUQ0648wTd
— ANI (@ANI) July 27, 2020
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को ज्ञापन भेजकर उनसे हस्तक्षेप की मांग
राजस्थान में विधानसभा सत्र बुलाए जाने को लेकर राजभवन और सरकार के बीच जारी गतिरोध के बीच कांग्रेस और उससे सम्बद्ध विधायकों ने सोमवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को ज्ञापन भेजकर उनसे हस्तक्षेप की मांग की। वहीं मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राज्य की राजनीतिक स्थिति को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से फोन पर बात की।
विधायकों की ओर से भेजे गए ज्ञापन में कहा गया है कि अनेक राज्यों के राज्यपाल अपने पद की गरिमा की चिंता किए बिना सत्ताधारी पार्टी के इशारे पर संविधान की घोर अवहेलना कर रहे हैं। इसमें राजस्थान के राज्यपाल द्वारा विधान सभा का सत्र बुलाने की अनुमति नहीं दिए जाने का भी जिक्र करते हुए राष्ट्रपति से हस्तपेक्ष करने और राज्य सरकार को विधानसभा का सत्र आहूत करने की अनुमति दिलाने की अपील की गई है।
जोशी ने वापस ली सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका
दूसरी ओर, विधानसभा स्पीकर सीपी जोशी ने हाईकोर्ट के 21 जुलाई के आदेश को चुनौती देने वाली सुप्रीम कोर्ट में याचिका वापस ले ली है। हाईकोर्ट ने इस आदेश में उन्हें पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट और 18 कांग्रेस विधायकों के खिलाफ अयोग्य ठहराने की कार्यवाही को स्थगित करने का निर्देश दिया गया था। सुनवाई शुरू होते ही जोशी के वकील सिब्बल ने याचिका वापस लेने की इच्छा जताई।
वहीं, जोशी ने बसपा के छह विधायकों के कांग्रेस में शामिल होने के खिलाफ भाजपा विधायक मदन दिलावर की याचिका खारिज कर दी। दिलावर ने कहा कि वह आदेश के अध्ययन के बाद ही कोई टिप्पणी करेंगे। हालांकि दिलावर अध्यक्ष के फैसले की प्रति लेने के लिए कुछ देर के लिए विधानसभा सचिव के कमरे में धरने पर बैठ गए थे। सचिवालय से आदेश का सार मिलने के बाद वह बाहर आए।