रूबी राय (फाइल फोटो)
पॉलिटिकल साइंस को ‘प्रोडिकल साइंस’ बोलने के कारण बिहार की पूरी शिक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े हुए. मामले की जांच के बाद कई सफेदपोश और बोर्ड के अधिकारियों पर गाज गिरी थी.
वहीं, बिहार बोर्ड के लिए मैट्रिक या इंटर की परीक्षा किसी चुनौती सरीखी होती है ऐसा इसलिए क्योंकि अपने कारनामों की वजह से बिहार बोर्ड की किरकिरी हो चुकी है. बात चाहे रूबी राय प्रकरण से जुड़ा हो या फिर गणेश से दोनों मौकों पर बिहार की शिक्षा और परीक्षा व्यवस्था का मजाक उड़ा था.
साल 2016 में बिहार की छवि उस वक्त दागदार हुई थी जब रूबी राय नाम की छात्रा ने परीक्षा में टॉप किया था. हाजीपुर की रहने वाली रूबी कुमारी ने आर्ट्स स्ट्रीम में टॉप किया था लेकिन जब उससे पूछताछ की गई तो उसे अपने सब्जेक्ट के नाम तक ठीक से याद नहीं थे. मामला सामने आने पर जहां बोर्ड ने हर संभव सफाई देने की कोशिश की लेकिन टॉपर रूबी से रिव्यू टेस्ट में कई सवाल पूछे गए तो ये साबित हुआ कि उसने खुद अपनी कॉपी नहीं लिखी थी.
तब रूबी राय के एक जवाब के बाद ही सोशल मीडिया में ‘प्रोडिकल साइंस’ और ‘प्रोडिकल साइंस गर्ल’ शब्द ट्रेंड करने लगा था. पॉलिटिकल साइंस में 100 में 91 नंबर लाने वाली रूबी से जब पॉलिटिकल साइंस क्या है, पूछा गया था तो वो न केवल उसका जवाब नहीं दे पाई बल्कि इस विषय का उच्चारण भी सही से नहीं कर सकी.पॉलिटिकल साइंस को ‘प्रोडिकल साइंस’ बोलने के कारण बिहार की पूरी शिक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े हुए. मामले की जांच के बाद कई सफेदपोश और बोर्ड के अधिकारियों पर गाज गिरी थी और बिहार इंटर टॉपर्स घोटाला सामने आया था. तब एफएसएल की रिपोर्ट में चौंकान वाले खुलासे हुए थे. जांच के मुताबिक, आर्ट्स टॉपर रूबी राय ने अपनी कॉपी खुद से नहीं लिखी थी और न ही उसे भरोसा था कि वो टॉप करेगी. मामले की जांच तब एसआईटी को दी गई थी और बच्चा राय, लालकेश्वर प्रसाद जैसे किंगपिन के नाम सामने आये थे.
ये भी पढ़ें –
चुनावी माहौल में बढ़ सकती हैं कन्हैया कुमार की मुश्किलें, अब इस वजह से दर्ज हुआ केस
विरासत की जंग में पीछे छूटे तेजप्रताप, बाजी मार गए तेजस्वी !
बिहारी बाबू ने राहुल गांधी को बताया Hope of Nation, कहा- लालू ने किया कमाल