बिहार सरकार के कई मंत्री अभी तक अपने बंगले में गृह प्रवेश नहीं कर पाए हैं.
बिहार सरकार के कई मंत्री अभी तक अपने बंगले में गृह प्रवेश नहीं कर पाए हैं.
बिहार में कई ऐसे मंत्री हैं जो बंगले की समस्या से जूझ रहे हैं. कुछ मंत्री मजबूरी में सर्किट हाउस में रह रहे हैं तो कुछ जानबूझ कर आवंटित बंगला पसंद नहीं आने के कारण उसमें शिफ्ट नहीं हुए. अब सरकार को जिद के आगे झुकना पड़ा और दूसरा बंगला अलॉट भी करना पड़ा.
बिहार के श्रम संसाधन मंत्री जीवेश मिश्रा का भी यही हाल है. सरकार ने पहले इन्हें पांच पोलो रोड बंगला आवंटित किया था जो मंत्री जी को पसंद नहीं आया और वे उस बंगले में रहने को तैयार नहीं थे. बाद में उन्हें हार्डिंग रोड का बंगला नंबर 41 अलॉट किया गया. अब यहां मंत्री जी के रहने के लिए रंग-रोगन आनन-फानन में कराया जा रहा है. बंगले के सवाल पर मंत्री जी बहुत कुछ नहीं बोलते हैं लेकिन विधायको को आवास नहीं मिलने का ठीकरा भवन निर्माण विभाग के अधिकारियों पर फोड़ रहे हैं. मंत्री जीवेश मिश्रा का कहना है कि अधिकारियों के लापरवाही के कारण बिहार में विधायकों को बंगले की समस्या हो रही है.
पंचायती राज मंत्री सम्राट चौधरी भी अपने सरकारी बंगले से खुश नहीं है. इसके कारण मंत्री बनने के बाद भी वह कौटिल्य नगर स्थित अपने निजी आवास में ही रह रहे हैं. सम्राट चौधरी को सबसे पहले दरोगा प्रसाद राय पथ बंगला नंबर 11 आवंटित हुआ लेकिन यह बंगला उन्हें पसंद का नहीं था. लिहाजा वे उस बंगले को झांकने भी नहीं गए और अपनी नाराजगी उन्होंने सरकार के सामने जाहिर कर दी. फिर उन्हें पटना के स्ट्रैंड रोड स्थित बांग्ला नंबर 29 एम अलॉट हुआ. उस बंगले में भी निर्माण कार्य जारी होने के कारण मंत्री जी अभी तक गृह प्रवेश नहीं कर सके हैं.
बिहार में किसी मंत्री को बंगला अलॉट होने की समस्या है तो किसी को बंगला पसंद नहीं आने की. बिहार सरकार के भूमि सुधार मंत्री रामसूरत राय की अलग ही समस्या है. सरकार ने इन्हें जो बंगला अलॉट किया, उस बंगले में इन्हीं के पार्टी के विधायक विनोद नारायम झा अपना डेरा जमाए हुए हैं. उसकी वजह यह है कि विनोद नारायण झा को जो बंगला अलॉट किया गया, उसमें आरजेडी की विधायक किरण देवी रह रही हैं. उन्होंने अभी तक सरकारी बंगला खाली नहीं किया है जिसके कारण मंत्री रामसूरत राय के अलॉट बंगले में ही विनोद नारायण झा रह रहे हैं. रामसूरत राय को मजबूरी में सर्किट हाउस के एक कमरे में रहना पड़ रहा है.