हो रही है नए टेलीस्कोप की बात
कोरोना के दौर में भी अंतरिक्ष की दुनिया चुपचाप नहीं बैठी, बल्कि लगातार प्रयोग हो रहे हैं. इसी कड़ी में जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप लाया जा सकता है. इसके बारे में माना जा रहा है कि ये अंतरिक्ष की दुनिया का बेमिसाल टेलीस्कोप होगा, जिसके सामने मौजूदा उपकरण कुछ भी नहीं होंगे. ये स्पेस में हमारी पहुंच को लाखों किलोमीटरों तक ले जाएगा. तो सबसे पहले तो समझते हैं कि आखिर किन खूबियों से ये टेलीस्कोप लैस होगा.
टेलीस्कोप को -400 डिग्री फैरनहाइट तापमान पर रखना होगा (Photo- snappygoat)
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
नासा के साथ JWST को बनाने में यूरोपियन स्पेस एजेंसी और कनाडियन स्पेस एजेंसी का भी हाथ रहा है. इस इंफ्रारेड टेलीस्कोप का वजन 6 मैट्रिक टन होगा और इसकी धुरी धरती से 1.5 मिलियन किलोमीटर रहेगी. नॉर्थाप ग्रुमन एरोस्पेस सिस्टम्स (Northrop Grumman Aerospace Systems) के एस्ट्रोफिजिसिस्ट ब्लैक बुलक ने इस बारे में काफी पड़ताल की. वे इस प्रोजेक्ट का हिस्सा भी रह चुकी हैं. ट्रीहगर वेबसाइट ने उनके हवाले से इस टेलीस्कोप के बारे में कई जानकारियां दीं.
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सूरज की रोशनी से बचाने के लिए टेनिस कोर्ट जैसी शील्ड
वे बताती हैं कि स्पेस में ये सबसे अनोखा टेलीस्कोप है, जिसे ठंडा रखने के लिए भी आधुनिकतम तरीके अपनाए गए. दरअसल लंबे समय तक गर्मी लगने पर टेलीस्कोप अपनी क्षमता खो सकता है, जिससे बचाने के लिए उसके चारों ओर सन शील्ड तैयार की गई. ये एक टेनिस कोर्ट जितनी लंबी-चौड़ी है, जो उसके लिए छाते की तरह काम करेगी. बता दें कि टेलीस्कोप को -400 डिग्री फैरनहाइट तापमान पर रखना होगा ताकि वो प्रभावी तरीके से काम कर सके.
मौजूदा टेलीस्कोप्स से सैकड़ों गुना शक्तिशाली
जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप इस समय सबसे ताकतवर टेलीस्कोप्स से भी 100 गुना ज्यादा शक्तिशाली माना जा रहा है. जैसे नासा के हबल टेलीस्कोप (Hubble Space Telescope) से ही तुलना करें तो हबल जहां धरती के ऑर्बिट के एकदम पास है, वहीं JWST धरती से 1.5 मिलियन किलोमीटर की दूरी पर होगा. इससे फायदा ये है कि ये लाखों -करोड़ों किलोमीटर दूर तक अंतरिक्ष में देख सकेगा.

जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप काफी ताकतवर माना जा रहा है- सांकेतिक फोटो
क्या काम करेगा ये
हबल टेलीस्कोप अपनी अधिकतम क्षमता के साथ भी उतनी पुरानी गैलेक्सीज को नहीं देख पाता था, वहीं नए टेलीस्कोप के बारे में उम्मीद है कि वो पुरानी से पुरानी और नई से नई गैलेक्सी की जानकारी हम तक पहुंचा सकेगा. साथ ही ये भी देखा जा सकेगा कि दूसरे तारों में क्या-क्या फीचर हैं, जैसे क्या वहां पानी है, कैसा वातावरण है और किस तरह के केमिकल तत्व वहां हैं. इससे हम ज्यादा से ज्यादा एस्टेरॉइड्स को बेहतर तरीके से जान सकेंगे, जिससे सोलर सिस्टम को समझने में मदद मिलगी.
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क्या एलियंस का भी पता लग सकेगा?
JWST के बारे में सबसे बड़ी खूबी जो बताई जा रही है, वो है धरती के आसपास या दूर-दराज में एलियंस की उपस्थिति का पता लगाना. इस बारे में बुलक का मानना है कि इस टेलीस्कोप की यही सबसे बड़ूी खूबी हो सकती है. हालांकि फिलहाल इस बारे में पक्के तौर पर नहीं कहा जा सकता कि टेलीस्कोप इसमें किस हद तक सफल होगा लेकिन जितने आधुनिक फीचर इसमें डाले गए, उससे ये अनुमान लगाया जा रहा है.

वैज्ञानिकों को डर है कि यह एलियंस को भी हमारी जानकारी दे सकता है- सांकेतिक तस्वीर (flickr)
वैसे तो ये प्रोजेक्ट इसी साल मार्च में लॉन्च होने जा रहा था लेकिन अब ये टल गया है. हो सकता है कि अगले साल की शुरुआत या फिर इसी साल के अंत में इसकी लॉन्चिंग हो जाए. हालांकि इस बीच कई एस्ट्रोफिजिसिस्ट इसे लेकर चेतावनी भी दे रहे हैं.
क्या डर है जानकारों को
इस शक्तिशाली टेलिस्कोप से कुछ वैज्ञानिकों को डर है कि यह एलियंस को भी हमारी जानकारी दे सकता है, ठीक वैसे ही जैसे हम उनकी जानकारी लेने की कोशिश में हैं. फिलहाल तक ऐसा कोई पक्का प्रमाण नहीं मिला है कि एलियंस अगर हैं तो उन्होंने धरती पर आने की कोशिश की है. लेकिन एक बार जानकारी मिलने के बाद वे भी हमारी धरती पर संपर्क करेंगे. ऐसे में अगर वे ताकतवर हों तो इस आशंका से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि वे धरती पर कब्जा करने की सोचेंगे.
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धरती पर कब्जे की आशंका जताई जा रही
अमेरिका के थ्योरेटिकल फिजिसिस्ट और लेखक मिचिओ काकू (Michio Kaku) ने ऑब्जर्वर के साथ बातचीत में कहा कि नया टेलिस्कोप लोगों को हजारों ग्रहों को देखने की ताकत तो देगा, लेकिन हमें उनके निवासियों तक पहुंचने के बारे में काफी सावधानी से सोचना चाहिए. जैसे ही टेलीस्कोप धरती की ऑर्बिट में पहुंचेगा, हम हजारों ग्रहों को देख सकेंगे और वे भी हमें देख पाएंगे. ऐसे में इस बात की संभावना है कि हम किसी दूसरे ग्रह की सभ्यता के साथ संपर्क में आ जाएं. ये खतरनाक हो सकता है.