विशाल भारद्वाज के ट्वीट को शेयर करते हुए गुनीत मोंगा ने लिखा है, ‘ऐसा कैसे हो सकता है? कौन निर्णय ले सकता है?’ (Photo: File Photo)
फिल्मों में की जाने वाली काट-छांट के विरुद्ध फिल्मकार, FCAT का दरवाजा खटखटा सकते थे. फिल्मकार विशाल भारद्वाज (Vishal Bhardwaj), हंसल मेहता (Hansal Mehta) और गुनीत मोंगा ने बुधवार को कहा कि यह फैसला ‘विवेकहीन’ और ‘लोगों को मनचाहा काम करने से रोकने वाला’ है.
केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड द्वारा फिल्मों में की जाने वाली काट-छांट के विरुद्ध फिल्मकार, कानून द्वारा स्थापित एफसीएटी का दरवाजा खटखटा सकते थे. सिनेमाटोग्राफी कानून में संशोधन के बाद अब अपीलीय संस्था उच्च न्यायालय है.
विधि एवं न्याय मंत्रालय द्वारा न्यायाधिकरण सुधार (सुव्यवस्थीकरण और सेवा शर्तें) अध्यादेश 2021, की अधिसूचना रविवार को जारी की गई, जिसके अनुसार कुछ अपीलीय न्यायाधिकरण समाप्त कर दिए गए हैं और उनका कामकाज पहले से मौजूद न्यायिक संस्थाओं को सौंप दिया गया है.
मेहता ने ट्विटर पर लिखा कि यह निर्णय ‘विवेकहीन’ है. उन्होंने कहा, ‘क्या उच्च न्यायालय के पास फिल्म प्रमाणन की शिकायतों को सुनने का समय है? कितने फिल्म निर्माताओं के पास अदालत जाने के संसाधन हैं?’ उन्होंने कहा, ‘एफसीएटी को समाप्त करना विवेकहीन निर्णय है और निश्चित तौर पर लोगों को मन मुताबिक काम करने से रोकने वाला है. यह इस समय क्यों किया गया? यह फैसला क्यों लिया गया?’ भारद्वाज ने कहा कि यह सिनेमा के लिए ‘दुखद दिन’ है.

विशाल भारद्वाज का ट्वीट.
कुछ साल पहले 2016 में आई मोंगा की फिल्म ‘हरामखोर’, फिल्मकार अलंकृता श्रीवास्तव की 2017 में आई ‘लिपस्टिक अंडर माय बुर्का’ और नवाजुद्दीन सिद्दीकी स्टारर 2017 में आई ‘बाबूमोशाय बन्दूकबाज’ में सीबीएफसी के काट-छांट किए जाने के बाद भी इन फिल्मों को एफसीएटी द्वारा मंजूरी दी गई थी.
भारद्वाज के ट्वीट को साझा करते हुए मोंगा ने लिखा, ‘ऐसा कैसे हो सकता है? कौन निर्णय ले सकता है?’ मेहता ने भी एफसीएटी को समाप्त करने पर नाराजगी व्यक्त की है.