हीरो के रोल नहीं मिलने पर भी अमरीश निराश नहीं हुए. (फाइल फोटो)
अमरीश पुरी (Amrish Puri) हीरो के किसी भी ऑडिशन में पास नहीं हो पाए. हीरो के रोल नहीं मिलने पर भी अमरीश निराश नहीं हुए. अपना खर्च चलाने के लिए उन्होंने बीमा कंपनी में नौकरी शुरू कर दी और साथ ही साथ थिएटर भी करते रहे.
पढ़ाई करने के बाद वे रोजगार के लिए मुंबई चले आए. अमरीश पुरी को नौकरी करने की तमन्ना नहीं थी, वे तो एक्टर बनने मुंबई आए थे. उस समय तक उनके बड़े भाई मदन पुरी फिल्म इंडस्ट्री में अपनी पहचान बना चुके थे. पुरी हीरो के किसी भी ऑडिशन में पास नहीं हो पाए. हीरो के रोल नहीं मिलने पर भी अमरीश निराश नहीं हुए. अपना खर्च चलाने के लिए उन्होंने बीमा कंपनी में नौकरी शुरू कर दी और साथ ही साथ थिएटर भी करते रहे.
अमरीश पुरी को हीरो का रोल तो नहीं मिला, लेकिन दिग्गज एक्टर सुनील दत्त ने अपने डायरेक्शन में बनी फिल्म ‘रेशमा और शेरा’ से उन्हें फिल्म इंडस्ट्री में डेब्यू करने का अवसर दिया. इसके बाद अपनी तेवरदार एक्टिंग से अमरीश पुरी ने बॉलीवुड में तहलका मचा दिया. उन्होंने दामिनी, घायल, घातक, दिलवाले दुल्हनियां ले जाएंगे, नगीना, परदेस जैसी एक से बढ़कर एक फिल्में कीं. डीजीएलजी का उनका डायलॉग ‘जा सिमरन जा, जी ले अपनी जिंदगी’ अमर हो गया.
अमरीश ने बॉलीवुड ही नहीं हॉलीवुड में भी अपने अभिनय के जौहर दिखाए. उन्होंने हॉलीवुड की फिल्म ‘गांधी’ और ‘इंडियाना जोन्स एंड द टेंपल ऑफ डूम’ (Indiana Jones and the Temple of Doom) में भी काम किया. फिल्मों में अपनी एक्टिंग से हीरो को टक्कर देने वाले अमरीश पुरी का ब्रेन हैमरेज के कारण 12 जनवरी 2005 को निधन हो गया.